जयंतीलाल भंडारी
निस्संदेह नए वर्ष 2021 में जहां एक ओर देश के शेयर बाजार की नई ऊंचाइयां निवेशकों के लिए खुशी का कारण है, वहीं दूसरी ओर शेयर बाजार कोविड-19 से ध्वस्त देश की अर्थव्यवस्था को गतिशील बनाने में भी अहम भूमिका निभाते हुए दिखाई दे रहा है। शेयर बाजार भारतीय उद्योग-कारोबार सेक्टर के लिए नए उद्यमों को शुरू करने और चालू उद्यमों को पूरा करने के लिए धन की बौछार करते हुए भी दिखाई दे रहा है।
यह कोई छोटी बात नहीं है कि कोरोना वायरस के कारण बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) का जो सेंसेक्स 23 मार्च, 2020 को 25,981 अंकों पर आ गया था, वह 14 जनवरी, 2021 को लगातार बढ़ते हुए 49,584 अंकों की ऊंचाई पर पहुंच गया। दुनिया भर के विकासशील देशों के शेयर बाजारों की तुलना में भारतीय शेयर बाजार की स्थिति शानदार दिखाई दे रही है। शेयर बाजार में आई तेजी की वजह से दशक में पहली बार भारत की सूचीबद्ध कंपनियों का कुल बाजार पूंजीकरण (मार्केट कैप) देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) से ज्यादा हो गया है।
14 जनवरी को इस लिहाज से बाजार पूंजीकरण और जीडीपी का अनुपात 100 फीसदी को पार करके 104 प्रतिशत हो गया। अमेरिका, जापान, फ्रांस, ब्रिटेन, हांगकांग, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और स्विट्जरलैंड जैसे विकसित देशों में यह अनुपात 100 फीसदी से अधिक है। कोविड-19 की चुनौतियों के बीच भी शेयर बाजार के आगे बढ़ने के कई अहम कारण रहे हैं। वर्ष 2020 में एक के बाद एक कुल 29.87 लाख करोड़ रुपये की जो राहतें सुनिश्चित की गईं, उससे कोरोना काल में सरकार को उन सुधारों को आगे बढ़ाने का अवसर मिला, जो दशकों से लंबित थे। खासतौर से कोयला, कृषि, नागरिक विमानन, श्रम, रक्षा और विदेशी निवेश जैसे क्षेत्रों में किए गए जोरदार सुधारों से अर्थव्यवस्था आगे बढ़ी है। पिछले साल भारत की आर्थिक संभावनाओं के लिए जो वैश्विक सर्वेक्षण प्रकाशित हुए, उनसे भी शेयर बाजार को बढ़त मिली।
नए वर्ष में शेयर बाजार के तेजी से आगे बढ़ने की संभावना है। भारत ने कोरोना वायरस के दो टीकों को मंजूरी दे दी है और दुनिया के सबसे बड़े टीकाकरण अभियान की शुरुआत हो गई है। भारत द्वारा कोविड-19 का रणनीतिपूर्वक सफल मुकाबला किए जाने से अर्थव्यवस्था गतिशील हो रही है। अमेरिका में नए राष्ट्रपति जो बाइडेन के साथ भारत के अच्छे संबंधों की संभावनाओं से भी निवेशकों की धारणा को बल मिला है। शेयर बाजार में जिस तरह लंबे समय से सुस्त पड़ी कंपनियों के शेयर की बिक्री कोविड-19 के बीच तेजी से बढ़ी है, उससे शेयर बाजार में चुनौती भी बढ़ गई हैं। बाजार पूंजीकरण और जीडीपी के अनुपात का 104 फीसदी हो जाना बता रहा है कि बाजार में तेजी से तरलता बढ़ी
है। अतएव इसका सबसे अधिक ध्यान रिटेल निवेशकों को रखना होगा।
ऐसे में शेयर बाजार में हर कदम फूंक-फूंककर रखना जरूरी है। शेयर बाजार में तेजी के साथ-साथ छोटे निवेशकों के हितों और उनकी पूंजी की सुरक्षा का ध्यान रखा जाना भी जरूरी है। शेयर बाजार को प्रभावी व सुरक्षित बनाने के लिए लिस्टेड कंपनियों में गड़बड़ियां रोकने पर विश्वनाथन समिति ने सेबी को जो सिफारिशें सौंपी हैं, उनका क्रियान्वयन लाभप्रद होगा। चूंकि प्रतिभूतियों की मात्रा या कीमत में किसी भी तरह का हेरफेर बाजार में निवेशकों के विश्वास को हमेशा के लिए खत्म कर देता है। ऐसे में भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) द्वारा शेयर बाजार में हेरफेर से सख्ती से निपटा जाना चाहिए।
सरकार को सेबी की भूमिका को और ज्यादा प्रभावी बनाना होगा। शेयर बाजारों में घोटाले रोकने के लिए डीमैट और पैन की व्यवस्था को और कारगर बनाना चाहिए। छोटे और ग्रामीण निवेशकों की दृष्टि से शेयर बाजार की प्रक्रिया को और सरल बनाया जाना जरूरी है। हम उम्मीद करें कि नए वर्ष में आगे बढ़ रहे शेयर बाजार की ओर सेबी की ऐसी सतर्क निगाहें लगातार बनी रहेंगी, जिनसे शेयर बाजार अनुचित व्यापार व्यवहार से बच सकेगा। उम्मीद यह भी है कि आगामी बजट में शेयर बाजार में निवेशकों के लिए नए कर प्रोत्साहन सुनिश्चित किए जाएंगे।
सौजन्य- अमर उजाला।