सी एम वासुदेव
कई तरह की चुनौतियों के बीच वित्तीय वर्ष 2021-22 का केंद्रीय बजट पेश किया गया है। इनमें तीन चुनौतियां प्रमुख हैं। पहली है अर्थव्यवस्था में मंदी, दूसरी कोविड के अर्थव्यवस्था पर कुप्रभाव से और तीसरी है व्यापक आर्थिक संतुलन बनाए रखना। इन सभी चुनौतियों से निपटने के लिए वित्तमंत्री ने बजट में सार्थक प्रस्ताव रखे हैं। वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा पेश किए गए बजट को हम यहां इस प्रकार समझ सकते हैं-
ढांचागत विकास को बढ़ावा देने के लिए इस बार के बजट में कई प्रकार के निवेश प्रस्ताव प्रस्तावित किए गए हैं। इनमें हाई-वे, रेलवे, बंदरगाह इत्यादि में सरकारी व निजी निवेश करने के प्रस्ताव हैं। बजट में सामाजिक बुनियादी ढांचा, जिसमें स्वास्थ्य व शिक्षा सम्मिलित है, की ओर विशेष ध्यान दिया गया है और इन क्षेत्रों में, निवेश की सीमा बढ़ाई है।
आर्थिक क्षेत्र को मजबूत करने के लिए बजट में कई प्रस्ताव दिए गए हैं। इनमें बैंकों के नॉन परफॉर्मिंग एसेट्स (एनपीए), जो कोविड की वजह से काफी बढ़ गए हैं, उससे निपटने के लिए विशेष प्रयास किए जाएंगे। इसके साथ ही दो सरकारी बैंकों का निजीकरण भी प्रस्तावित है, जिससे इन बैंकों के संचालन में दक्षता आएगी। वहीं बीमा क्षेत्र में विदेशी निवेश की सीमा को 49 फीसदी से बढ़ाकर 74 फीसदी कर दिया गया है।
राजकोषीय घाटा इस वर्ष जीडीपी का 9.5 फीसदी होने का अनुमान है, और अनुमानों के अनुसार अगले वर्ष यह घाटा 6.8 फीसदी होना अनुमानित है। इससे यह लगता है कि वित्तमंत्री ने विकास की गति तेज करने के लिए राजकोषीय घाटे में ढील देना आवश्यक समझा है। इसका मुद्रास्फीति पर क्या प्रभाव होगा यह देखने वाली बात है।
कृषि क्षेत्र में भी इस बजट में कई प्रस्ताव रखे गए हैं, जिनमें किसानों की आमदनी दुगुनी करने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता दोहराई गई है। एमएसपी चालू रखने के लिए सार्थक प्रयास दोहराए गए हैं। कृषि मंडियों का सुधार और उनके माध्यम से कृषि क्षेत्र के ढांचे में निवेश के लिए कृषि मंडियों के माध्यम से वित्तीय संसाधन जुटाए जाएंगे। पेट्रोल और डीजल पर कृषि सेस लगाने का प्रस्ताव है। हालांकि आम आदमी पर अभी कोई इसका प्रभाव नहीं पड़ेगा।
जहां तक सरकार के संसाधन जुटाने का प्रश्न है, इस बजट में कोई नए कर प्रस्तावित नहीं किए गए हैं। सरकारी उपक्रम आैर संपत्ति के विनिवेश के माध्यम से लगभग 1.70 लाख करोड़ रुपये जुटाने का प्रस्ताव है। कुछ क्षेत्र में कस्टम ड्यूटी बढ़ाने व कम करने के प्रस्ताव इस बजट में हैं, जिनसे छोटे व मध्य श्रेणी के उद्योंगों को कुछ राहत मिलने की उम्मीद है। आयकर व
जीएसटी में सरलीकरण के कई प्रस्ताव इस बजट में हैं। साथ ही पहली बार पूरे देश में एक डिजिटल जनगणना की घोषणा की गई है, जिससे अर्थव्यवस्था में डिजिटल भुगतान को सुदृढ़ किया जा सकेगा।
स्वास्थ्य बजट में 137 फीसदी की बढ़ोतरी की है, इसके बावजूद पूरे देश में हर व्यक्ति को कोविड वैक्सीन उपलब्ध कराना एक बड़ी चुनौती है। इसके लिए बजट में 35,000 करोड़ का प्रावधान रखा गया है, जो संभवत: हर व्यक्ति को सरकारी खर्च पर वैक्सीन लगाने के लिए पर्याप्त न हो। मेरे विचार में प्रत्येक व्यक्ति को वैक्सीन उपलब्ध कराना सरकार की पहली प्राथमिकता होनी चाहिए। इसके लिए आवश्यक धनराशि जुटानी चाहिए, क्योंकि देश में यदि कामगार स्वस्थ्य और गतिशील होंगे, तो देश के आर्थिक विकास में और तेजी आएगी।
सौजन्य - अमर उजाला।
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